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somya mohanty

Romance

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somya mohanty

Romance

इश्क़ और समाज

इश्क़ और समाज

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खफा तेरे इश्क़ की दिल से

आज भी ये धड़कन हुआ करती हैं

वक़्त ए ख़ामोशी इतनी ज़रुरी भी

तो नहीं


देख, कितनी फ़िक्र, इस दिल को

बेक़रार रखती हैं

हाँ तेरे यादों के सहारे बेशक,

बस कुछ पल बीत जाने की

उम्मीद लगा रहती है


"मसरूफियत" भी कितनी ज़ालिम

आज कल की चीज़ है

जो बस एक बहाने को हकीक़त के,

रूप में रंग देती हैं . .


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