दिल ढूंढ़ता है
दिल ढूंढ़ता है
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काँटों के साथ आज वो हमको
गुलाब के फूल दे गयी हैं
दर्द जो अपनी उस दिल को मिला था
आज वो अपनी जख्म दिखा गयी हैं
वादे के साथ वो दावा भी कर गयी
बेरंग और रंग के सिलसिले में
वो कहे खुद को में अमावस का अँधेरा हूँ
बेसक तुम सतरंग हो मोहब्बत के फलसफे में . . . .