करोना . .
करोना . .
फिर से सुगंध इस मिट्टी की
लहरायेगा खेत जहान का
आज आंसू बना है मजबूरी सबकी
कल ताकत बनेगा बदलते वक़्त की
है ये पल दर्द से भरा।
हर जगह मौत की लहर है
एक रोग क्या इतना ताकतवर
जो इनसान हारा हर हालात है
क्यूँ भूलें , हम बैठे हैं
लड़ना एक साथ भी एक हथियार है
ना मिले यहाँ हाथ ना सही
मिले सोच यही जरुरी है।
है ये वक़्त संजीदा बड़ा
कीमत लग रही इनसान ए जान की
क्यूँ ना हम आज संकल्प लें
ना लांघे लक्ष्मण रेखा घऱ के चौखट की।
