शैलजा
शैलजा
" मन" स्वस्थ हुआ।
आपके "सुस्वस्थ" होने पर।।
मन अस्त-व्यस्त हुआ बहुत।
"शैलजा" जी के अमर होने पर ।।1।।
टूट जाता है मन "प्रिय" के खोने पर ।
जीव जाता नहीं कहीँ "जी" में होने पर ।।
"रूह" का रूह से "ख़ूब" गहरा है नाता।
रूह "रूह" में ही है "रूह" में होने पर।।2।।
जीवन रात-प्रभात है खिज़ां- बरसात है।
आज है, कल है , और है कल -आज ।।
कौन आया, गया कौन, सब है ये रिवाज़ हैं।
रूह नित थी, है,होगी नित ये हिसाब हैं।।3।।