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Sudesh Gautam

Inspirational

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Sudesh Gautam

Inspirational

गज़ल

गज़ल

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 मुझे किसी से कोई "शिकायत" नहीं हैं।

 वक्त से खेलना मेरी "आदत" नहीं है।।1।।

 धूल सिर पर डाल जो घर से निकला।

 उसे कहीं बिगड़ने की "इजाज़त" नहीं है।।2।।

 कांटे-कंकड़-पत्थर-छाले सब मिलेंगे यहाँ ।

मंजिल यूँ ही मिले तुम्हें ''शराफत" नहीं है।।3।।

 एहसान-एहसास -फरामोशी बेशर्मी है।

 "गौतम" ये किसी तरह लियाकत नहीं है।।4।।

 बातें ऐसी जैसे झर रहे हो फूल जुबां से।

 सम्भलो! किसी तरह भी नज़ाकत नहीं है।।5।।

 तेरा शहर छोड़कर अब जाना होगा मुझे।

 तुम्हारे रूठने में मेरी हिफाज़त नहीं है116।।

 मुकद्दर मुकम्मल ही हो मुकर्रर नहीं होता ।

 हुनरमन्दी से मंज़िलें सियासतन नहीं हैं।।7।।

 टूट कर चाह जिस चीज़ को "गौतम" न मिली।

बेवक्त मिले भी तो जरूरत ही नहीं है ।।8।।

खुदा से न गिला शिकवा, न खुद से कोई ।।

 कर्म अपने तो फल अपना "क्यूं" नहीं है।।9।।

 इश्क़ ,मुहब्बत ,प्रेम ,फासले सब तो हैं यहां।

 तेरा करम-ओ-मुकद्दर ही मुकम्मल नहीं है।10।।

 कितना रोएं , क्यूँ रोएं, क्यूं कर रोएं !गौतम ।

 ये तो सिर्फ रास्ता है मंज़िल तो नहीं है ।11।।


  



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