होगा
होगा
अहम जितना फैला होगा ।
घाव उतना ही गहरा होगा ।।1।।
वहम-ओ-गुमान वहका होगा ।
जीवन उतना ही उलझा होगा ।।2।।
दिल पर जितना पहरा होगा ।
प्रेम उतना ही गहरा होगा ।।3।।
तेरी रूह में बस्ती रूह जब उसकी ।
फिर किसको पराया कहना होगा ।।4।।
कुछ नियमों पर टिके हैं धरती अम्बर ।
समझना, सहना इनमें रहना होगा।।5।।
अन्न और प्राण खूब जुड़े हैं खुद में ।
सोचें खुद "कितना" लेना होगा।।6।।
घूम -घूमा आ गये सारी दुनिया ।
समझ आया स्वघर में रहना होगा।।7।।
देह -देही का सम्बन्ध निराला है नित ।
दोनों को ही नित मिल रहना होगा।।8।।
सोऽहं -सोऽहं" जपते रहना होगा।
गौतम बहुत हुआ अब चलना होगा।।9।।