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Sudesh Gautam

Action

4  

Sudesh Gautam

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असर

असर

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अपनी दुआओं का "असर" देखना है।

  यहाँ बैठे ही खुदा का "घर" देखना है।।1।।

  "कोरोना-चायना" शब्द दो"एक" से ही हैं।

  दोनों का ही सर कुचल कर देखना है ।।2।।


  समुद्र में लहरें उठें कितनी भी ऊँची।

 फिर से उन्हें समुद्र में "दर्ज"देखना है ।।3।।

  बड़े तुफांआए-गए, ये भी निकल जाएगा।

 कोरोना से बचो,टीकाकरण देखना है।।4।।


 सरकारी लिफाफेबाज़ी यूँ ही चलेगी! गौतम।

 सम्भलो,ख़ुद का खुद ही "दर्द" देखना है।।5।।

 माना ये आलम अच्छा नहीं है महामारी का।

 लहर एक हो दूसरी सिमटते देखना है।।6।।


 वर्ष दो बरबाद हो गए विश्व प्रगति के"गौतम"।

 सम्भल!आगे बढ़,सब "सफल"देखना है।।7।।

  आदमी का हुआ जीवन "दूभर" इस दौर में।

 तज खुदगर्ज़ी,सबका दु:ख दर्द देखना है।।8।।


  चायना तेरे "दंश" ने खा लिया जगत् सारा ।

 तुम्हें सुधरना है या स्व-विध्वंस देखना है।।9।।

 गौतम न खुद को देखना,न खुदा ही देखना।

 वसआदमीयत का इक फर्ज देखना है।।10 ।।


 तमाम कायनात ही है रूह-रूप-नूर तेरा ।

 क्या-कौन-कैसे में क्या फर्क देखना है।।11।।

 यूँ तो सन्त-सन्तुष्ट ही सब दिखें जहाँ में ।

 पद-संपद-तारुण्य में ही तो सब्र देखना है।12।


 "जी"क्यूँ जिंदा लाश सा ढोये जा रहा खुद को ।

 अब बचा क्या है जो कब्र में देखना है ।।13।।

  रात भर बरसा पानी पर तू न सराबोर हुआ।

 मन मरा भाव मरेअब क्या हश्र देखना है। 14।


 चलो गौतम अपने रास्ते बहुत हो लियाअब।

क्याअपना-बेगाना क्या हमदर्द देखना है।।15।।


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