STORYMIRROR

Rashmi Sthapak

Tragedy

5  

Rashmi Sthapak

Tragedy

धरती ऐसे जल रही

धरती ऐसे जल रही

1 min
518



धरती ऐसे जल रही,

जैसे जले मशाल।

धूल-धूल रस्ते हुए,

सूखे-सूखे ताल।।

*************

कहाँ गई धरती हरी,

कहाँ गए सब ताल।

कहाँ गए जंगल घने,

ऊँचे-ऊँचे साल।।

*************

जिस नदिया में नाव थी,

अब है धूल-गुबार।

रेत-रेत मंज़र सभी,

टूटी है पतवार।।

*************

सीखे जिसमें तैरना,

सूख गया वो ताल।

वहीं बनाकर कोठियाँ,

सेठ बनाते माल।।

*************

सूख गई अब के बरस,

अमराई अनमोल।

कोयल भी ज्यों भूलती,

मीठे-मीठे बोल।।

**************

बढ़ने दो काटो नहीं,

इतना रखकर याद।

ऊँचे वृक्षों से करते,

बादल खुद संवाद।।

***************

जंगल बिन मंगल नहीं,

लाख टके की बात।

जीवन में सबसे बड़ी,

हरियाली सौगात।।

***************


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy