सफ़ेद कोट में फरिश्ते
सफ़ेद कोट में फरिश्ते
सफेद कोट शायद उसको इसलिए दिया।
इस महामारी में मसीहा वो सबका बना।।
अपने घर, बीवी - बच्चों से मिलने को तरसे।
न जाने कितने दिन अस्पतालों में गुजरे।।
सोचता होगा वो भी,भला इससे भी बड़ी होगी कोई बात।
परिवार के साथ घर पर रहने को मिल रहा इनलोगों को आज।।
सालों-साल प्लास्टिक से, हम सब ने किया पृथ्वी को गन्दा।
पर पी पी ई किट पहन, उसका पाप ढोए अकेला वो बन्दा।।
घर बैठे-बैठे जो हम सिर्फ दे रहे सिस्टम को गाली हैं।
वहीं इन डॉक्टर्स ने हमारे अपनों के लिए, स्वयं की जान जोखिम में डाली है।।
इनकी सेवा का कर्ज़ तो शायद हम कभी भी चुका नहीं सकते ।
पर जो थोड़े जिम्मेदार बनें तो, मदद जरूर हम उनकी कर सकते।।
चेहरे पर मास्क और 2 गज की दूरी।
घर पर बैठें, अगर नहीं कुछ जरूरी।।
इतना सा है बस इस समस्या का समाधान।
हर एक फ्रंट लाइन वारियर पर होगा ये बड़ा एहसान।।
