मन में है विश्वास
मन में है विश्वास
कुछ नहीं रहा पहले जैसा, सब कुछ रहा है बिखर।
फिर भी दिल में है इक आस, क्योंकि मन में है विश्वास।।
क्यों रूठा तू अपने बच्चों से ?
माना हम थे नादान, नहीं रखा धरती माँ का ध्यान।
जिस इंसान ने अपना वर्चस्व समझ कर,
ढाए प्रकृति पर जुल्म।
वे ही इंसान घुटने टेक अब,हाथ जोड़ खड़े हैं तेरे पास।
क्योंकि मन में है विश्वास।।
बंद हो गए मंदिर मस्जिद, गिरजाघर में पड़ गए ताले।
इंसान घबरा के छुपा घर पे,गरीबों को हुए खाने के लाले।
रस्ते पर चलते चलते पड़े पैर पर मजदूरों को छाले,
बच्चे दूसरे शहर में अटके,अपनों को तरसें,
कैसी तेरी लीला, कैसे ये तेरे खेल निराले।
हे बंसीवाले, समेट ले अब अपनी माया,
बजा के अपनी मुरली, हर ले दुखों का साया।
तेरी शरण में आयें हम ले के बहुत ही आस,
क्योंकि मन में है विश्वास।।
तू ही हरेगा दुख सबके, तू ही है तारणहार।
अपने भक्तों की अरज सुन ले, रोक दे बस अब ये संहार।
त्राहि त्राहि कर रहा ये संसार, सुन ले हम सबकी पुकार।
कर दे सब पहले जैसा, लगाए हम सारे ये ही गुहार।
तेरेे नाम से चल रही हर साँस,
क्योंकि मन में है विश्वास।।
मन में है विश्वास, तू है दया का सागर।
मन में है विश्वास, कृपा बरसेगी जल्द तुम्हारी।
मन में है विश्वास, हारेगी ये महामारी।
मन में है विश्वास, छाएगी चारों ओर फिर खुशहाली।
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास।।
