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Dimple Agrawal

Inspirational

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Dimple Agrawal

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मेरे बस की बात नहीं

मेरे बस की बात नहीं

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उस माँ के बारे में क्या लिखूँ,

जिसने हाथ पकड़ लिखना सिखाया मुझे।

उस माँ की कैसे मैं करूँ व्याख्या,

जिसने पाल-पोस कर बड़ा किया ।

उस माँ के बारे में बताऊँ मैं क्या,

जिसकी आँचल की छांव ने हर दुख से मुझे बचाया ।

उस माँ का क्या दूँ मैं विवरण,

जिसकी ममता का मुझ पर ऋण।

उस माँ के क्या करूँ मैं गुणगान,

जिसने दी मुझे मेरी पहचान।

उस माँ के बारे में क्या दूँ मैं जानकारी,

जिसके लिए उसकी संतान में बसी होती दुनिया सारी।

उस माँ के लिए क्या करूँ मैं वदन,

जिसने अपने बच्चों के लिए किया अपना सारा जीवन अर्पण।

नहीं है किसी कलम में इतनी ताकत और शब्दकोश में अल्फाज़,

जो बयां कर सके माँ के प्यार तथा समर्पण के वो सारे एहसास ।

सादी सी साड़ी में मुस्काती हुई माँ, पड़ती हर विश्वसुन्दरी पर भारी है,

उसके ममता के कर्ज़ से दबी दुनिया की सन्तानें सारी हैं।

उसकी विशाल हस्ती के आगे मेरी कोई औकात नहीं,

उस देवी के बारे में लिख पाना मेरे बस की बात नहीं।

उस देवी के बारे में लिख पाना मेरे बस की बात नहीं।।



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