#DIL DHUNDTA HAI.....
#DIL DHUNDTA HAI.....
ना हक़ समझे ये यादें कभी
ना वक़्त की लकीर में कैद हैं
जज़्बात समझे ये एहसास की तरह
वैसे तू आज भी इस दिल की जिद्द है।
हाँ, हैं तेरे कुछ बेजान चीज़ें अभी
लगे जैसे ये यादों ही इसमें जान भर रहा।
भरे नैनों की मुजरिम बन
कर अकेला हैं खड़ा
जैसे "मुर्शिद" तू
और "मरीज़" तेरे मोहब्बत में हो रहा।

