कोरोना
कोरोना


क्यों ये सुबह लगे बेरंग आज कल
लगे लाशों की ढेर की खबर यहाँ
हें परेशान यहाँ सारा जहान करोना से
जैसे पिंजरा हें घर और सब कैद यहाँ
ना महक हें मौसम के फूलों की
ना मंदिर के आंगन की सुगंध मिले
वक़्त ने कैसे केहेर ढाया देखो
केसी ये “नारायण” की लिला हें
ना समझ में एक साधारण प्राणी समान
भूखे प्यासे की चिंतन में दिन कटे हर पल
जिन्दगी अब तेरे हवाले ए मालिक
तेरे भरोसे ये साँस उम्मीद जगाए पल पल।