STORYMIRROR

somya mohanty

Tragedy

3  

somya mohanty

Tragedy

कोरोना

कोरोना

1 min
269


क्यों ये सुबह लगे बेरंग आज कल

लगे लाशों की ढेर की खबर यहाँ

हें परेशान यहाँ सारा जहान करोना से

जैसे पिंजरा हें घर और सब कैद यहाँ


ना महक हें मौसम के फूलों की

ना मंदिर के आंगन की सुगंध मिले

वक़्त ने कैसे केहेर ढाया देखो

केसी ये “नारायण” की लिला हें


ना समझ में एक साधारण प्राणी समान

भूखे प्यासे की चिंतन में दिन कटे हर पल

जिन्दगी अब तेरे हवाले ए मालिक

तेरे भरोसे ये साँस उम्मीद जगाए पल पल।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy