क्रूर करोना
क्रूर करोना
देखो कैसे दिन हैं आये,
संकट के बादल हैं छाए ।
चेहरे की रंगत उड़ी उड़ी,
सबके हृदय हैं घबराए ।।
कैसी है यह हवा चली ,
आम ज़िन्दगी बिखर गई।
रौद्र रूप लिए मृत्यु को देख,
हर एक ज़िन्दगी सिहर गई ।।
श्वास श्वास को तरसे दुनिया ,
हवा भी हीरों मोल बिक रही ।
जाने कैसा भस्मासुर आया,
अनगिनत चिताएं धधक रही ।।
रिश्ते नाते रह गए पीछे,
जान बचाने मुट्ठी भींचे ।
भागम भाग चली है कैसी,
भाग रहे हैं आंखें मीचे ।।
हुई बेबस दुनिया सारी,
मायूसी फैली छाई लाचारी ।
कोरोना ने कोहराम मचाया,
तड़प उठी है दुनिया सारी ।।
क्रूर कोरोना से लड़ना होगा,
नियमों का पालन करना होगा ।
वैक्सीन, मास्क और दो गज दूरी ,
भीड़ भाड़ से बचना होगा ।।
गर टूटेगी कोरोना श्रृंखला,
तभी धरा से मिटेगी ये बला ।
बात ये गांठ में बांध लो सारे ,
इसी में छुपा है सबका भला ।।