हमारी धरा
हमारी धरा
अब हमनें धरा को पुनः बचाना है
जो टूट चुकी हैं डालियाँ
उन्हें फिर से सजाना है।
दे रही है श्वांस निरन्तर जीव को
छोड़कर मोह अपने स्वाभिमान का
क्या दिया और क्या किया हमने
धरा को सिर्फ माँ बोलकर।
हरित रूप उसका विकृत कर दिया
देख मानव तूने विनाश
का मार्ग स्वयं चुन लिया
कर दिया है मौन उसने जगत
सिर्फ एक हुंकार से।
ये एक चेतावनी है
कर लो सृजन मेरा
सच्चे सपूत बन
रहेगा आशीष मेरा
तेरी देह के पोषण में
अन्तिम क्षण तक।