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AVINASH KUMAR

Tragedy

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AVINASH KUMAR

Tragedy

जख्म दिल के

जख्म दिल के

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जख्म दिल के छुपाके देख लिया

गम से आंखें चुराके देख लिया

लज्जते—दर्द में निसार तेरे !


तुझसे दामन बचाके देख लिया

दिल का हर जख्म मुस्करा उठा!

नग्मए—ऐश गाके देख लिया 

जिंदगी का सकून खो बैठे


गम की दौलत लुटाके देख लिया

बिजलिया सैकडों चमक उठीं

फिर नशेमन बनाके देख लिया

कैसी उल्फत, कहा की रस्मे—वफा

सबको अपना बनाके देख लिया


हमनवा कौन ? हमनफस कैसा !

नौहए—गम सुनाके देख लिया

जिंदगी एक शराब है 'कुमार

खंदए—गुल को जाके देख लिया।


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