रंजिश
रंजिश
दिल में नफरत प्यार की नुमाइश होती है,
वक़्त पर ही वादों की आज़माइश होती है।
मुल्क में आग लगा रहे मज़हब के नाम पर,
लहू के रिश्तों में धोखे की गुंजाइश होती है।
हिदायत में बेशक दोस्त ही ग़लती हैं बताते,
दुश्मन के मुख से अक्सर सिताइश होती है।
खामोशी तोड़ दे आपसी रंजिश छोड़कर,
गुफ़्तगू से जुड़ने की फिर भी गुंजाइश होती है।
करे मुश्किलात का सामना हम साथ मिलकर,
'मैं' के घर में तो अना की पैदाइश होती है।
23rd April 2021 / Poem17