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Sheetal Raghav

Romance Tragedy Inspirational

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Sheetal Raghav

Romance Tragedy Inspirational

नयी पहल !

नयी पहल !

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क्या सोचा था तूने ?

रोउंगी गिड़गिड़ाऊंगी मैं, 

तुझसे ना मिल पाई तो,

बिखर ही जाऊंगी मैं।


यही सोचा था ना तूने,

कि तुझसे बिछड़ कर,

एक कदम भी चल ना पाऊंगी मैं, 


लड़खड़ाते कदमों से कैसे करूंगी? 

इस बेदर्द दुनिया का सामना मैं, 

यही सोचकर मुस्कुराएगा तू, 

और टूट के रह जाऊंगी मैं,


मैं तो एक खिलौना ही थी,

काठ की एक बेजान गुड़िया थी मैं, 

तू ना खेलेगा तो दम तोड़ ही जाऊंगी मैं, 

यही सोचा था ना तूने, 


तेरी प्यार की सर्द सांसे ना मिली तो, 

पिघल ही जाऊंगी मैं,

यही सोच कर मुस्कुराया था,ना तू, 

कि तुझे एकटक देखती रह जाऊंगी मैं, 


नहीं ! 

अब नहीं ! 

अब नहीं, अब बिल्कुल नहीं !


आज उठी हूं,

पहली बार सिर्फ खुद के लिए मैं,

तुझसे बिछड़ कर एक और

नया जहां बनाऊंगी मैं, 


टूटा तो तू था, 

सोचा था, तूने क्या ?

बिखर गई हूं, मैं,

तू जब टूट कर बिखर जाएगा !

तो फिर, 

तेरे लिए कहां आऊंगी मैं?


नए सपनों का नया जहां, 

नया गुलिस्ता सजाऊंगी, मैं, 


सच पूछो तो तुझसे बिछड़ कर ही तो, 

खुद को फिर से पाऊंगी मैं, 

खो गई थी, तुझसे मिलकर 

सोच कर तू संसार है मेरा, 

यही तो एक गलती कर गई थी मैं, 


आज बढ़ गई हूं, 

तुझसे एक कदम आगे मैं,

यही सोच कर गिडगिडया है, 

ना आज तू, 


और आज खुद अपने आप समझ गई हूं मैं,

संवर गई हूं मैं,

क्या सोचा था तूने ?


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