पंख कट गये तो क्या ??
पंख कट गये तो क्या ??
मैं मैना हूं,
वापस जरूर आऊंगी,
पंख कट गए तो क्या,
कटे, पंखों से फिर,
उड़ कर दिखाऊंगी,
नहीं छोडूंगी कभी,
साहस का दामन,
नहीं मानूंगी मैं कभी हार,
आसमान में जिस दिन देखो,
तुम जब पंछी,
पंख फैलाए,
दूर गगन में,
नील गगन में,
उड़ते जिसे तुम देखो,
बार बार,बार बार,
समझ लेना कि,
वही मैना है,
जिसने कभी ना,
मानी हार,
मौसम में जब उड़े,
बसंती बयार,
फूल बगिया में खिले हो,
अनेको, नहीं दो चार,
तब समझ लेना कि
वहां मैं हूं,
जिसने कभी न मानी हार,
अंग कट गए तो क्या?
अपने हौसलों से उड़ुगी मैं,
बार-बार, बार-बार,
उड़कर दिखाऊंगी,
इस बेरहम दुनिया के सामने,
जो मुझे देख कर,
देखकर धिक्कारती थी,
बार-बार, बार-बार,
कुछ नहीं,
बस कुछ नहीं,
अब तेरे जीवन में,
धरती पर पड़े रहना,
और तड़पना,
बार-बार, बार-बार,
पर मैं बुलंद हौसलों से,
उनके कुंद इरादों से,
टकराऊंगी,
बार-बार, बार-बार,
पंख एक कट गया,
तो क्या ???
अरमानों के पंख से
मैं उठुंगी
बार-बार, बार-बार,
मैं मैना हूं
ना मानूंगी
कभी मैं हार।।