जीवन के बाद
जीवन के बाद
जीवन जीना और जीवन मिलना दोनों में अंतर है,
जो हर वक्त प्रयासरत रहते हैं वो जीवन जीते हैं,
और जो भाग्य भरोसे बैठे अफसोस करते हैं,
उन्हें जीवन से कोई मोह नहीं बस कर्मों का फल है,
मृत्यु लोक में जन्म मिला यह उनका कर्म है,
जीवन के बाद मृत्यु होना शाश्वत सत्य है,
जिससे अनजान इंसान भौतिक सुखों में लिप्त है,
जीवन का सच्चा सुख प्रभु स्मरण में है,
लेकिन उसका एहसास जीवन भर नहीं होता है,
जब मृत्यु निकट होती है तब प्रभु भजन सुमिरन होता है,
इसलिए जो करना है अभी कर लो,
जीवन के बाद तो जो किया है वो भोगना होगा।
