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Anita Gupta

Inspirational

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Anita Gupta

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मेरी चाह

मेरी चाह

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है गर्व मुझे इस बात का

   है हिंदी मेरी मातृभाषा,

     मिले स्थान इसे विश्व भाल पर 

       है ऐसी मेरी अभिलाषा ।


सरल है ये इतनी

  जो बोलते वही हैं लिखते,

     सहजता इसमें ऐसी

        जो लिखते वहीं हैं बोलते।


पाणिनि के व्याकरण से सजती

   शुद्ध वर्तनी समृद्ध शब्द भंडार,

      है सज्जित राष्ट्र गौरव इससे

         सुंदर लिपि सरल आकार।


युगों से युगान्तर तक 

   बनी देश की आवाज़,

     कबीर तुलसी सूर जायसी

        बने साहित्य के सरताज।

  

हर भाषा का सम्मान

   होता है धर्म हमारा,

     हो हिंदी का प्रसार जगत में

        अब तो है कर्त्व्य हमारा।


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