खेल
खेल
खेल हैं स्वस्थ जीवन का मंत्र
खेलने के हैं कई तरह के यंत्र।
कभी दिमाग की कसरत होती
कभी बदन की वर्ज़िश होती।
अंतर्हाल चेस और शतरंज खेलते
मैदान में खो-खो कबड्डी खेलते।
विद्यालय भी खेलों से जाने जाते
खिलाड़ी हर स्तर पहचाने जाते।
इससे जीवन में अनुशासन आता
अपना कलेवर भी हृष्ट-पुष्ट रहता।
खेल में सहयोग की भावना रहती
कभी हार कभी जीत होती रहती।
हल खिलाडी अव्वल ही रहता
विजेता पदक से नवाज़ा जाता।
खेलते कूदते जो बड़े हो जाते
तन मन को वो स्वस्थ बनाते।
