खेल
खेल
वो बड़ा खिलाड़ी निकला
खेल गया मेेरे जज्बात से।
उसको कुछ कुछ जानने का बहम
था मुझे पहली मुलाकात से।
नियत अपनी वो छूपा गया
बहला कर चिकनी चुपड़ी बात से।
जिसने कभी दिल से न माना मुझको
उलझी रही उसी के ख्यालात से।
तोहफा दिया जिसने करवटों का सिलसिला
चैन व नींद रूठ जाए, उसका दिन-रात से।
