तू कहाँ नहीं है ?
तू कहाँ नहीं है ?
तू,
कहां नहीं है,
मेरे यार बता,
क्यों ढूंढूं,
तुझे मैं बाहर,
मेरे यार,
एक बार बता,
ऐसा कोई कोना नहीं,
कोई दरख़्त,
कोई दीवार नहीं,
जिसमें तू,
मेरे यार नहीं,
तू तो हर जगह,
हासिल है,
जहां तू नहीं,
मेरे यार वहां,
मेरी कोई दरकार नहीं,
तू तो मुझ में है,
तू हार में जीत में,
रुदन में संगीत में,
गीत में प्रीत में,
असफलता में सफल जीवन में,
तुझे ढूंढना,
नामुमकिन नहीं,
मेरे लिए,
तू मेरी,
नस नस में,
मेरे श्रृंगार में,
जीवन की हर आती जाती,
बाहर में,
तू बिछड़ना भी है,
तू मिलना भी,
तू दोस्त भी,
तो दुश्मन भी,
भूख में भी तू,
प्यास में भी तू
मेरे दिल की,
हर आती-जाती,
सांस में भी तू,
और कहां कहां है तू,
मेरी जमी मेरी आत्मा में तू,
दिल में उठे,
दर्द की इंतहा में भी तू,
पागलपन की हद है तू,
मेरी सांसो की कश्ती,
मेरी जिंदगी के सफर में तू,
तू नहीं तो,
मैं कुछ भी नहीं,
कुछ भी नहीं,
मेरी बंद आंखों की,
तस्वीर में तू,
दिल की तकदीर में तू,
बंद मुट्ठी के,
मायाजाल में भी तू,
जहां देखूं,
सिर्फ नजरों में,
तू ही तू,
आज पा लिया है,
तुझको,
पूर्ण हुई,
इस सफर में,
अब तो मेरी,
कोख में पलने वाली,
सांसो का,
सूत्रधार भी तू,
और कहां,
ढूंढू तुझको,
मुझको बता दे,
ऐ यार तू?