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Sheetal Raghav

Abstract Romance Tragedy

4  

Sheetal Raghav

Abstract Romance Tragedy

मै फिर वापस आउंगी !!!

मै फिर वापस आउंगी !!!

1 min
740


आज सुबह से,

मन उदास है,

जीवन का हर,

लम्हा,

अब बन गया,

खास है,

 

मैं,

तेरे साथ कहां तक,

चल पाऊंगी, 

लड़खड़ा रहे हैं,

कदम,

पर,

जरूरी तेरा साथ है,

नहीं,

थमना चाहती,

 मैं,

 

अभी इतना जल्दी,

अभी तो,

मन में,

तेरे,

साथ जीए जाने की,

आस है,


देख, 

कभी रुक भी जाए,

मेरे,

जीवन की घड़ियां,

तो,

तू कभी,

इन राहों पर,

ना थम जाना,

बढ़ जाना, 

हर राह पर,

 

चार कदम,

रुक जाना ना,

इस जीवन का काम है,

देख शायद,

टूट रही है, 

जिंदगी की कड़ी है,

मेरे सामने जैसे,

अंधेरे अंधेरे,

और बस अंधेरे,

आ रहे हैं,


ओझल तेरा चेहरा,

मेरी आंखों से,

हुए जा रहा है,

थाम ले कसकर,

मेरा हाथ,

अपने हाथों में,

लगता है,

मेरे सीने से निकल कर,

मेरा दिल जा रहा है,

 

रोक लो मुझे,

मुझे तेरे साथ है,

रहना,

अभी तो जिंदगी में

बहुत तेरा साथ है देना,

मैं चली गई तो,

तनहा,

हो जाएगा तू,

 

मैं,

नहीं एक पल भी,

 तनहा,

छोड़ना चाहती, 

तुझे,

पर यह क्या?

लगता है,

सांसों की डोर टूट रही है,

हाथों से मेरे,

 

मेरे जीवन रूपी,

आशा छूट रही है,

शायद,

अब,

रुक ना पाऊंगी,

पर,

चली भी गई,

तो क्या ?

तेरे लिए,

लौट कर,

मैं, 

फिर,

वापस आऊंगी,


मैं,

फिर, 

वापस आऊंगी।।


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