सफर
सफर
सफर जिंदगी का बड़ा निराला है
कभी हंसाता कभी रुलाता है
कभी पत्थर की तरह ठोस तो
कभी चंद्रमा की तरह शीतल
पथिक यहां हर मोड़ पे है
कोई थका सा है कोई खिलखिलाता सा है
आएंगे तूफान तुझे हिलाने को
तू जमकर सामना करना इसे हराने को
हरा दिया इसे तो कहलाएगा वीर
हार गया इसके सामने तो बन न पाएगा शूरवीर।
