समझ
समझ
वक्त ने कुछ ऐसा चक्कर चलाया
जिसे देखकर मैं हैरान हो गया हूँ
मैंने भी समझ ली है अब दुनियादारी
हाँ अब मै भी समझदार हो गया हूँ
हर शख्स यहाँ पर बहुत व्यस्त है
बस अपनी ही दुनिया मैं मस्त है
थोड़ा तो अब मैं भी मशगूल हो गया हूँ
हाँ अब मै भी.......
किसी को किसी की कोई फ़िक्र नहीं
पर भावनाओं की अब कोई कद्र नहीं
मै भी रिश्तों को अब दाव पर लगा रहा हूँ
हाँ अब मैं भी.......
रस्मों कसमों की कोई अहमियत नहीं है
आज कसम खाई कल तोड़नी वही है
मैं भी इन कसमों वादों से उकता रहा हूँ
हाँ अब मैं भी......
जिनको दिल से चाहो वही दगा करते हैं
दुनिया को अपनी बेबसी का बखान करते हैं
मैं भी दिलों से खेलने का गुर सीखता जा रहा हूँ
हाँ अब मैं भी.....
मैंने भी तो दुनिया से कितने धोखे खाए
मुझे भी तो हर कदम पर छला ही गया
मैं भी अब छल-कपट करना सीखता जा रहा हूँ
हाँ अब मैं भी.....
सब अपनी अपनी मजबूरी का बयान करते हैं
किसी और की मजबूरी पर वही खूब हंसते हैं
मैं भी अब दूसरों पर हँसना सीखता जा रहा हूँ
हाँ अब मैं भी......