अतीत व वर्तमान
अतीत व वर्तमान
एक रोज मेरा अतीत मेरे वर्तमान से टकरा गया
देख कर मेरे वर्तमान को कुछ सकपका सा गया
उसने वर्तमान को सवालों के घेरे में घेर लिया
यह क्या हाल बना रखा है अतीत कहने लगा
कुछ भी तो अब पहले जैसा नहीं रहा है
तूम इतना कैसे बदल गये आश्चर्य हो रहा है
क्या तुमने मुझको एक दम से भुला दिया
भुला दिया कैसे मैं खुद को सजा संवार कर रखता था
हर बात पर हँसता और खिलखिलाता रहता था
वो चेहरे का नूर अब जाने
कहाँ गायब हो गया
आँखों की चमक का रंग भी धुंधला सा पड़ गया
वो मनमोहक अदाएं जो सबको भाती थीं
किसी की नजरें एक टक मुझे तकती थीं
वो नाज नखरे वो चंचल अदाएं कहाँ चली गई
खिल खिलाकर हंसने की सदाएं भी गायब सी हो गयीं
तुममें इतना बदलाव कैसे आ गया
जवाब तो दो आखिर यह मामला क्या हो गया
सुनकर वर्तमान धीमे से मुस्कुराने लगा
अतीत को सब अपना हाल वो सुनाने लगा
कहने लगा मैं बिलकुल भी नहीं बदला हूँ
जो तुमने मुझे दिया मैं तो उसी को संभाल रखा हूँ
यह तुम्हारा भ्रम है कि तुम सजे संवरे रहते थे
मुझे सब मालूम है कैसे अन्दर ही अन्दर रोते थे
तुम कहते हो की तुम हंसते और खिलखिलाते थे
अरे तूम तो अपने अन्दर हजारों गमों को छुपाते थे
तुम्हारे चेहरे पर कोई नूर तब भी नहीं था
बस अपने मन को इस झूठ से बहलाते थे
आँखों में कोई चमक तब भी नहीं थी
बस दूसरों के सामने खुद को खुश दिखाते थे
रहते थे तुम तब भी हमेशा परेशान ही
लेकिन चेहरे पर हर दम मुस्कान सजाते थे
वो मनमोहक अदाएं सिर्फ एक छलावा था
दूसरों से बस अपने गम छुपाने का तरीका था
किसी की नजरें तुम पर कभी टिकी ही नहीं
वह तो झूठे प्यार का बस दिखावा था
तुमने खुद के मन को हमेशा यूँ ही बहलाया
तुझे किसी ने कभी सच्चे मन से नहीं अपनाया
मैंने तो उसी को संभाला जो तुमने मुझे दिया
तुम्हारे ही सौंपे हुए अतीत को बस आगे है किया
जैसे आज मैं अकेला हूँ तू भी तब अकेला था
साथ में कोई नहीं था फकत तेरा भरम बस था
सोचता हूं अच्छा है जो किसी ने मुझे नहीं अपनाया
वक्त के थपेड़ों से खुद को मजबूत तो कर पाया
वैसे भी इस दुनिया में अकेले ही तो रहना है
किसने हमेशा के लिए किसी के साथ में रहना है।
