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Suman Mohini

Classics Inspirational

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Suman Mohini

Classics Inspirational

ख्वाहिश

ख्वाहिश

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ओस की बूंदों सी फिसल रही है जिंदगी

लम्हा लम्हा हर पल बदल रही है जिंदगी

ना जाने कब जिदगी की शाम ढल जाये

मुठ्ठी से रेत सी फिसल रही है जिंदगी

 

ख़ुशी का हर लम्हा जी भर जीना चाहता हूँ

मैं किसी के इश्क में खुद को खोना चाहता हूँ

उसकी हर एक साँस में अब घुलना है मुझे

देखें कब ख्वाब को हकीकत बनाती है जिंदगी

 

एक अजीब सा जूनून है सर पर सवार मेरे

ऐसा कुछ कर गुजरूँ जो हो जग से निराला

आसमां पर जाकर एक पैबंद लगाना चाहता हूँ

देखना हैं मौका कब मुहैया कराती है जिंदगी

 

जिम्मेदारी के ढेर में जो ख्वाहिशें दब के रह गई

वक्त के थपेड़ों से कुछ और कुचल गयी

हर एक ख्वाहिश में अब नव जीवन भरना है मुझे

देखना है इनको कब वरीयता देती है जिंदगी।


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