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आचार्य आशीष पाण्डेय

Inspirational

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आचार्य आशीष पाण्डेय

Inspirational

दुनिया का निर्माण

दुनिया का निर्माण

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दुनिया का निर्माण विविध रुपों में,

विविध मनुष्य, देव और जीवों से होता है 

उसी प्रकार जैसे जल का निर्माण स्वयं

जल से अनेक रुपों में होता रहता है।।


दुनिया एक नहीं है दुनिया अनेक है

किन्तु वो अनेक एक में ही व्याप्त है

कैसे? सुनिए पहली काव्य की दुनिया 

जो कवि से निर्मित होती है ।।


विधाता की दुनिया जो विधाता से 

निर्मित होकर पृथ्व्यादि में विचरण करती है

जल की दुनिया जो विधाता के विधाता से

निर्मित होकर चौदह भुवन रमण करती है।।


दुनिया का निर्माण गुण और अवगुण 

दो पहलू में किया जाता है

एक त्वष्ट्रा और शुक्राचार्य की दुनिया

और दूसरी भृगु की पृथु रुपी दुनिया।।


जीव तथा प्रकृति रुपी दुनिया का निर्माण

विधाता करता है किन्तु संचालन 

विधाता का विधाता करता है

और वो अपने अनुसार उसका लेखा जोखा करता है।।


सृष्टि की दृष्टि से विधाता को नागिन कह सकते हैं

जो स्वयं उत्पन्न करता है और स्वयं ही भक्षण करता है

किन्तु एक दुनिया का निर्माण ऐसे भी होता है

जो स्वयं सृष्टि करके स्वयं को नष्ट कर देती है उपमा में बिक्षु।।


दुनिया का निर्माण विविध रुपों में इस प्रकार कह सकतें हैं

जैसे -सद्गुण -अवगुण, प्रकृति-पुरुष, जीव से जीव दुनिया

जल से जल की दुनिया,विधाता से विधाता की दुनिया

और समुचे संसार से एक नये संसार की दुनिया का निर्माण होता है।।


ये विविध दुनिया एक ही दुनिया में व्याप्त है

किन्तु व्यवहारिक दृष्टि से भिन्न हैं

जो पृथक पृथक रुपों में दृश्य होकर

कार्य में अपना वर्चस्व दिखाती है।।


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