Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Nitu Mathur

Inspirational

4  

Nitu Mathur

Inspirational

दुर्गावती

दुर्गावती

1 min
430



बुंदेल की वीर भूमि महोबा में जन्मी एक बाला

साहस रक्त बहता जिसे प्रिय था तलवार भाला

कुछ छंदों में सुनाते हैं इस वीरांगना की सुगाथा 

सरस शौर्य साहस प्रताप स्वाभिमान की सुकथा,


भारत के वीरों का प्रताप तो सारे जगत ने जाना है

कुछ वीरांगनाएं भी अपने शोर्य प्रताप से देखो 

बनी इसका उजला गहना है...

दुर्गावती की तलवार धार ने यूं दुश्मन को यूं खदेला

पति के बाद राज्य सुरक्षा जिम्मा उसने जब थामा है,


हर युद्ध संग्राम उसने अपने बल गौरव से जीती है

सीमा पर ही रोका उनको जिसने गंदी नियत रखी है

कोई योद्धा शासक सामने उसके नहीं टिक पाया है

अपने अंदर की दुर्गा से उसने प्रबल शक्ति बटोरी है,


गजनवी को मार गिराकर घिरी दुश्मन से चहुओर

तब देख संकट निकट उसने खुद की बलि चढ़ाई है

शत्रु से मरना उचित नहीं स्वभिमान दुर्गा का कहता है

स्वयं पर चली यूं तलवार तो मान से वीरगति मिली है,


ऐसी रानी को सादर नमन गर्व से शीश झुकता है

दुर्गावती का कोई सानी नहीं हर भरतवीर कहता है

स्मृति में उनकी थोड़ा साहस बटोरो थाम लो शस्त्र

हर नारी रानी दुर्गावती बनें मेरा मन ये कहता है।


           


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational