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Dr.Purnima Rai

Inspirational

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Dr.Purnima Rai

Inspirational

वीरांगनाएं

वीरांगनाएं

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चल रहे हैं रास्ते

मुसाफिर भी जा रहे

कुछ बिछ़ुड़ रहे तो कुछ मिल रहे !!

खुल रही हैं खिडकियाँ

हवा के झोंकों से

ले रही हैं करवटें

यादों के झरोखे में

तिलस्मी धूप की

आगोश में बैठी

वीरांगनाएं !!

उफान पे है

दर्द का मंजर

सिसकती नहीं

मचलती नहीं

सिर्फ एक ही हाला

देश प्रेम एवं राष्ट्र भक्ति की

अधरों से लगाये

ललकार रही दानवों को

आग का गोला बनी

वीरांगनाएं!!

चूम के मुख मृत लाल का

बांध के राखी बन्धु को

टूटी बिखरी भुजाओं को

छाती से लगा के

कदमों के निशां को

तीक्ष्ण बुद्धि से निहारती

चल पड़ी हैं

वीरता की मिसाल देने

वीरांगनाएं।


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