STORYMIRROR

Dr.Purnima Rai

Inspirational

4  

Dr.Purnima Rai

Inspirational

वीरांगनाएं

वीरांगनाएं

1 min
384


चल रहे हैं रास्ते

मुसाफिर भी जा रहे

कुछ बिछ़ुड़ रहे तो कुछ मिल रहे !!

खुल रही हैं खिडकियाँ

हवा के झोंकों से

ले रही हैं करवटें

यादों के झरोखे में

तिलस्मी धूप की

आगोश में बैठी

वीरांगनाएं !!

उफान पे है

दर्द का मंजर

सिसकती नहीं

मचलती नहीं

सिर्फ एक ही हाला

देश प्रेम एवं राष्ट्र भक्ति की

अधरों से लगाये

ललकार रही दानवों को

आग का गोला बनी

वीरांगनाएं!!

चूम के मुख मृत लाल का

बांध के राखी बन्धु को

टूटी बिखरी भुजाओं को

छाती से लगा के

कदमों के निशां को

तीक्ष्ण बुद्धि से निहारती

चल पड़ी हैं

वीरता की मिसाल देने

वीरांगनाएं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational