चल रहे हैं रास्ते मुसाफिर भी जा रहे कुछ बिछ़ुड़ रहे तो कुछ मिल रहे !! चल रहे हैं रास्ते मुसाफिर भी जा रहे कुछ बिछ़ुड़ रहे तो कुछ मिल रहे !!
पर भुला नहीं मन ये कभी भी आजादी कितनी कुर्बानियां से आया है पर भुला नहीं मन ये कभी भी आजादी कितनी कुर्बानियां से आया है