बेटियां
बेटियां
मत कर बेटों बेटी में पक्षपात
बेटियां हैं घर का अभिमान
बेटियां नही पराया धन
वो हैं सूर्य की नन्ही किरण
हक उसका भी बराबर का है
जन्म लिया उसी गोद से है
दो उसे वह शक्ति
खिलखिलाते रहे उसकी हसीं
मिटाओ इस संकीर्ण सोच को
रोको भ्रूण हत्या को।