उम्मीदें
उम्मीदें
मत रख उम्मीदें तकलीफ देती हैंं
सुना समझा आजमाया मत रख उम्मीदें उम्मीदें तकलीफ देती हैं
पर समझ न आया क्या बिन उम्मीदों के रिश्तों की नीव टिकी होती हैं
हर नया रिश्ता शुरू होता हैं उम्मीदों से
हर नया रिश्ता शुरू होता हैं उम्मीदों से
अगर टूटी उन रिश्ता से उम्मीदें तो घाव दे जाता हैं जोरों से
एक पिता की पुत्र से उम्मीद जिम्मेदारियों को सम्हालने की
तो पुत्र की पिता से उम्मीद ख्वाइशों को पूरा करने की
मां की उम्मीद बेटी से परवाह की
तो बेटी की उम्मीद मां से स्नेह की
भाई भाई की उम्मीद सहारा बनने की
तो बहन बहन की उम्मीद परवाह की
उम्मीदों के मामले में सबसे जटिल रिश्ता पाया पति पत्नी का
टूटी इन रिश्तों में उम्मीद तो अंत निश्चित इस रिश्ते का
इसलिए सुना समझा आजमाया मत रख उम्मीद उम्मीदें तकलीफ देती हैं।
