मदांध
मदांध
एक चूहे ने हीरा निकाला, किस्मत उसकी चमकी थी,
मालिक ने सोचा मार गिराऊं, शिकारी को दे दी जिम्मेदारी थी।
हजारों चूहों के बीच में, थे सब आपस में रमे,
पर एक चूहा बैठा तन्हा, सबसे अलग, सबसे जुदा।
शिकारी ने झट से पहचाना, वही था वह खास चूहा,
जो हीरे की चमक में खोकर, छोड़ चुका था अपना कुनबा।
मालिक ने पूछा अचरज से, इतने में से पहचाना कैसे उसे?
शिकारी हंसा और बोला, "बात है ये बिलकुल सीधी, सहज।
जब कोई मूर्ख पा ले दौलत, खुद को समझे वह राजमहल,
छोड़ अपनों का संग-संसार, हो जाए अलग, बस यही विहल।"