"अनुरोध "
"अनुरोध "
बने हो फेसबूक के दोस्त, विचारों में बंधे रहना !
करोगे द्वंद्व अपनों से ,नहीं तुम दोस्ती करना !!
करो सम्मान तुम सबका, समझ आपस में रहनी हो !
कहो तुम प्यार से सब कुछ, नहीं कुछ भेद उसमें हो !!
नहीं वो “राम” आए हैं, नहीं वो “राज्य” ही आया !
परंतु कोई भी युग में ,उसे नहीं भूल ही पाया !!
जो संभव हो नहीं सकता, कवि रचना में कहते हैं !
उन्हीं परिकल्पनाओं से, जगत कल्याण करते हैं !!
बिगड़ जातीं हैं सब बातें ,जब कुछ और ही लिखते !
करें हम क्या भला बोलो ,जब कुछ और ही कहते !!
कोई भी बात जब बोलें ,तो उसको तौलकर सौचें !
लिखा हो आम जब कोई ,तो इमली की बात न बोलें !!
जो कोई बात लिखता है ,उसे पढ़कर मनन कीजिये !
हिदायत कुछ भी देनी हो , मेसेन्जर को चयन कीजिये !!
