प्यार भाव
प्यार भाव
प्यार भाव प्रत्येक प्राणी का,
एक बहुत महान भाव है।
यह दिल से निकलता,
हुआ एक एहसास है।।
प्यार भाव से ही जग में,
रिश्ते- नाते बनते हैं।
प्रत्येक रिश्ते के लिए,
अलग-अलग भाव पनपते हैं।।
प्यार में आकर्षण त्याग,
और समर्पण होता है।
खुशियों और आनंद से,
भरा सागर होता है।।
प्यार भाव ने इंसानों में,
चार चांद लगा दिए हैं।
इंसानों ने कार्यो से भी,
प्रेम कर महान कर्म कर दिए हैं।।
प्रकृति के भी सभी घटक,
प्रेम भाव में रहते हैं।
तभी तो समर्पण भाव से,
जीवों को जीवन देते हैं।
जो मानव प्रकृति,पशु-पक्षियों से भी,
खूब प्रेम भाव रख पाते हैं।
सच मानो इसके बदले में,
वह चार गुना प्रेम ले पाते हैं।।
मानव जीवन में जिसने,
प्रेम भाव को मिटने नहीं दिया।
मानो उसने अपने जीते जी,
स्वर्ग को ही पा लिया।