मेरा अभिमान
मेरा अभिमान
उसकी एक हंसी से बगिया की सारी क्यारी खिल गयी
आज हमारे उदासी घर को ढेर सी खुशियां मिल गयी
दिए जलाओ ख़ुशी मनाओ फूलों का झूला तैयार करो
लक्ष्मी चल कर घर है आई मिलकर उसका सत्कार करो
जिसके कर्म बड़े अच्छे हो बड़े पुण्य के काम किए
कर्म फल उनको है मिलता कन्या का अवतार लिए
जिसके घर में बेटी जन्मी, वो घर स्वर्ग बन जाता है
माँ बाप का पूरा जीवन तभी सफल हो जाता है।
पुत्र पिता का वंश चलाता बेटी प्रथा चलाती है
मान बढ़ाती सदा पिता का औरो का धन कलाती है
वो जागे तो सूरज चमके वो सोए तो रात है
आन पिता का घटना-बढ़ना सब उसके ही हाथ है।
उसके घर में ना होने से जग सूना हो जाता है
चाहे भीड़ बरी हो घर में बीहड़ सा हो जाता है
दूर बहुत हो चाहे तन से मन साथ ही रहती है
बेटा चाहे छोड़ भी जाए पर बेटी साथ निभाती है।