धूप-छांव का खेल खेलें बादल, वर्षा थिरके वसुंधरा के द्वार, मोर नाचे बेसुध, होवे बावरा, धूप-छांव का खेल खेलें बादल, वर्षा थिरके वसुंधरा के द्वार, मोर नाचे बेसुध, ...
हर बंजर जमीन पर फसल उगा देता हूँ सिसकते बालक को कभी भी हँसा देता हूँ हर बंजर जमीन पर फसल उगा देता हूँ सिसकते बालक को कभी भी हँसा देता हूँ
बांसुरी से निकलने वाली धून तो सबने सुनी पर बांसुरी क्या कहती कहती है ये बताती हुई कविता बांसुरी से निकलने वाली धून तो सबने सुनी पर बांसुरी क्या कहती कहती है ये बताती हु...
.पर हमें औरों से क्या हमने तो अपने मित्रों की टोली बना रखी है कहने को हमारे साथी अनेक हैं .पर हमें औरों से क्या हमने तो अपने मित्रों की टोली बना रखी है कहने को हमारे स...
ढूँढ लेना हर चीज वहां पर पर मक्कारियो क़ो ले जाना नहीं खूबसूरत ही था या मासूम भी ढूँढ लेना हर चीज वहां पर पर मक्कारियो क़ो ले जाना नहीं खूबसूरत ही था ...
मैं मंत्रमुग्ध होकर निहारती हूं मैं सुंदर यात्रा वृतांत सुनती हूं मैं मंत्रमुग्ध होकर निहारती हूं मैं सुंदर यात्रा वृतांत सुनती हूं