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Mr. Akabar Pinjari

Others

5.0  

Mr. Akabar Pinjari

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बूंद-बूंद

बूंद-बूंद

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बूंद-बूंद जब बारिश गिरे,

पंछी गगन में करें विहार,

सुर लगे ना साज ज़मीं पर,

नन्हे-नन्हे बच्चें करे पुकार।


धूप-छांव का खेल खेलें बादल,

वर्षा थिरके वसुंधरा के द्वार,

मोर नाचे बेसुध, होवे बावरा,

नदियों की छलके तेज़ धार।


मंत्रमुग्ध होता नाचे जंगल,

सांसें थम बिजली होवे पार,

आस बुझे चातक की, मिटे है करार,

इस जलती धरती पर सावन का है प्यार।


सौंधी खुशबू से दिल पे मिट्टी करें है वार,

हरियाली से आच्छादित पर्वत का संसार,

बूंदों के गिरने से कम होता किसानों का भार,

वर्षा के कारण होता है नवजीवन का संचार।



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