वीरो का देश भारत
वीरो का देश भारत
वीरो की ये धरती हैं,
वीरता कण कण में बसती हैं,
हर बालक, हर बाला यहाँ,
एक सम ही बलिदानी हैं
जिसने त्याग बलिदान की
विद्या बचपन से ही जानी हैं,
न थकता यहाँ कोई जन
त्याग और बलिदान से,
शीश नवा देता हँसते हँसते
भारत माँ की शान में,
ऐसी धरती से भारत की
जहाँ जन जन में देशभक्ति उमड़ती हैं,
भारत माँ की पीड़ा जहाँ,
हर दिल मे कसकती हैं,
सलाम कर खुद को
कि हम भारत माँ के लाल हैं,
हम सब के दिलो में तो,
देश सेवा के ख्याल हैं,
ये त्याग नही अपना,
बस कर्ज चुकाना है
नर तन धर बार बार
इस मातृभूमि पर आना है,
हिन्द की सेना बन,
जयहिंद ही गाना हैं,
यही वसुधा तो बस
वीरता का खजाना हैं।
