याद करो कुर्बानी
याद करो कुर्बानी
भर लो जरा नैनो में नीर,
14 फरवरी आया हैं,
उन अनगिनत शहीदों की,
याद संग लाया हैं,
धोखे से मारा जिनको,
कायर से कुछ दुश्मन ने,
तड़प रही उनकी यादों में,
कुछ बैचैन सी राते हैं,
कही बिलख रहा शिशु कोई,
कही तड़पती पत्नी हैं,
कही बुजुर्ग मात पिता की,
सूनी सी जिंदगी हैं,
न बहना का घर बसा कही,
न कही कुछ खुशिया हैं,
हमने भी तनिक समझनी,
उनकी दुःखी कहानी हैं,
फिर क्यो नही आज,
हम सबकी आँखों मे पानी है,
क्यो खोये प्रिय प्रियतम में तुम,
प्रणय निवेदन कर रहे,
क्या तुमने नही सुनी वो,
दर्दनाक सी चीखे हैं,
कायरो ने जिनको दिए,
पीछे से ये धोखे हैं,
हो भारतवासी जो तुम,
उठ जरा संकल्प ले लो,
जाग जरा अब तंद्रा से,
कुछ तो जरा सबक ले लो,
जो जाग गए यदि हम तो,
कोई शत्रु न डिगा पाएंगे,
हममे से हर जन के भीतर,
जो एक सैनानी जाग जाएगा,
भरो जरा चक्षु में नीर,
कुछ वो दर्द याद करो,
एक दिन तज जरा प्रणय निवेदन,
वीरों का सम्मान करो,
प्रिय प्रेयसी के से तुम,
कभी और भी जी लेना,
आज जरा वीरों को तुम,
कुछ तो याद करो,
चलो चले शहीदों के घर,
कुछ खुशियो के दीप जलाए,
आज वैलंटाइन डे पर,
कुछ बुझे दियो को जलाए,
रक्त की हर बूंद का कर्ज,
अश्रु क्या मिटायेंगे,
खुद के भीतर जगा एक सैनानी,
कुछ तो कर्ज चुकाएंगे।
