प्रेम/नफरत
प्रेम/नफरत
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हो प्रेम जहाँ
वहाँ नफरत कहाँ !
प्रेम का आना
नफरत का जाना !
जैसा होगा व्यवहार
वैसा होगा स्वयं विस्तार !
प्रेम को प्रेमी मिले
नफरत को घृणा मिले !
वशर भावनाओं का पुतला है
प्यार, महोब्बत, नफरत सब बहते हैं !
जो भाव जिसमें बहे
वही फल वह पाता है !
जो प्रेम/नफरत से ऊपर उठता
जीवन उसका सफल हो जाता है !
प्रेम करो, नफरत त्यागो
जीवन का यह ध्येय बना लो !
दुनिया में प्रेम ही फैल जाएगा
स्वर्ग का आनंद फिर आएगा।