वतन के रखवाले
वतन के रखवाले
परिस्थितियाँ हो चाहे अनुकूल या प्रतिकूल,
देश की सुरक्षा को ना जाते कदापि वे भूल।
वतन के रक्षक देश की रक्षा वास्ते कटिबद्ध,
अरि को ना छोड़े वे यूँ कदापि अधरझूल।।
होता है बस देशसेवा का अप्रतिम जुनून,
सवार होती हैं उनके रक्षा-सुरक्षा की धुन,
वतन के रखवाले अद्भूत शौर्य के प्रतीक,
लेने तत्पर रहते ये वीर जवान अरि खून।।
हुंकार सुनकर कांपते हैं दुश्मन ज़रा थर-थर,
उखड़ जाते हैं कदम सुन आहट मारे डर,
देश के रक्षक से रण संग्राम हो प्रफुल्लित,
जब असिधार हो जायें वैरी खून से तरबतर।
कर कलम लिखे कलमकार भूताराम,
करता जो वतन के रखवालों को सलाम,
आन-बान-शान-मान से सज्जित रक्षक,
करते वे देश सेवा का अविस्मरणीय काम।।
