जनसंख्या
जनसंख्या
दावानल की भांति बढ़ रही है,
हिम शिखर की ओर चढ़ रही है,
जन्म दाता अन्य समस्याओं की
जनसंख्या यह क्या कर रही है ?
बेरोजगारी गरीबी का रोना हो,
या हो फिर कृषि भूमि की कमी।
जनसंख्या नामक महामारी हैं,
सब में यह समस्या गहरी रमी है।
अपराधीकरण इससे बढ़ रहा है,
अनैतिकता का भाव चढ़ रहा है,
जनसंख्या का दिनों-दिन विस्फोट,
संसार में आज यूँ ही बढ़ रहा है।
भुखमरी का हो गया हैं माहौल,
कुपोषण के होते बच्चे शिकार।
प्रदुषित हो रहा हैं पर्यावरण अपना,
ऐसी बढ़ती जनसंख्या को धिक्कार !
बढ़ती जनसंख्या को लगाने लगाम,
लाये सरकारे कानूनों के साथ आयाम।
करे लोगों को हम सब यूँ ही जागरुक,
अपनाये परिवार नियोजन का सब काम।
अकेली सरकारों से यह रुक नहीं पायेगी,
हम दो हमारे दो से ही यह थोड़ी झूक जायेगी।
अगर आपने समय पर नहीं लगाई पाबंदी,
तो सारी दुनिया में खलबली मच जायेगी।
कहे जोड़ हाथ यह सदा आपको भूताराम,
लगा दो शीघ्र ही इस वृद्धिरत समस्या पर लगाम।
अगर समय रहते नहीं पाई आपने इससे मुक्ति,
बचाने सृष्टि काम ना आयेगी कोई आपकी युक्ति।
