शहीदों की शहादत पर देश खड़ा कंचन प्रभा
शहीदों की शहादत पर देश खड़ा कंचन प्रभा
हम सब अपने घर में
सोते दिन रात चैन की नींद
और वो जागे सीमा पर
करते हैं हम उनको जय हिंद
सैनिको की उस जांबाजी और
हिफाजत पर ही देश खड़ा
कितने वीर शहीदों की
शहादत पर ये देश खड़ा
वो भी होगा माँ का बेटा
उसकी भी कोई पत्नी होगी
वो भी होगा पिता किसी का
उसकी भी कोई अपनी होगी
उस वीर पिता की बाजुओं की
पर्वत पर ये देश खड़ा
कितने वीर शहीदों की
शहादत पर ये देश खड़ा
दीपावली पर आऊँगा
ये कह कर कोई चला गया
आ कर मैं ईद मनाऊँगा
यह कह कर कोई चला गया
उनकी इस आशाओं की
इबादत पर ये देश खड़ा
कितने वीर शहीदों की
शहादत पर ये देश खड़ा
कोई दुश्मन के खेमे का
सूत्र बन कर शहीद हुआ
कोई भारत माँ का
धरतीपुत्र बन कर शहीद हुआ
उन वीरों के दुश्मन खेमे से
बगावत पर ये देश खड़ा
कितने वीर शहीदों की
शहादत पर ये देश खड़ा।
