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S R Daemrot (उल्लास भरतपुरी)

Abstract Action Inspirational

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S R Daemrot (उल्लास भरतपुरी)

Abstract Action Inspirational

सैनिक सम्बोधन

सैनिक सम्बोधन

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मत डर ठिठक मत, आगे बढ़, दे ध्यान अपने लक्ष्य में।

सब संग हैं मां भारती के, पुत्र- पुत्री तेरे पक्ष में।।

आफत कोई संसार की, तुझको डरा सकती नहीं।      

तू लौ है उस मशाल की, दुनिया बुझा सकती नहीं।।   

शत्रु पर कर प्रहार, कर दे वार सारे कटाक्ष के....


कदमों से कलंकित करें, तेरी मां की इस ज़मीन को। 

नापाक नज़रों से मां का, मुखड़ा करें मलीन जो।।   

बन आग उसको भस्म कर , वो है ख़ाक़ तेरे समक्ष में...


तू डर नहीं सकता, कभी तू मर नहीं सकता।       

दुश्मन तो तेरा बाल बांका, कर नहीं सकता।।    

सभी जानते हैं, तू प्रलय है, मां भारती के रक्षक...


मां भारती के तिरंगे की, है शान तेरे हाथ में ।         

इस वक्त है इस मुल्क का , सम्मान तेरे हाथ में।।    

दामन में मां के हाथ डाले, उसे भंग कर प्रत्यक्ष में...


अब देश का रक्षक है तू।                    

और जुर्म का भक्षक है तू ।                   

तेरे दंश से विषाक्त कर दे,

दुश्मन को जहरी तक्षक....


मज़हब तेरा मां भारती, है रब तेरा मां भारती।      

तुझे इस मिट्टी की सौगंध है, दे क़र्ज़ मां के प्यार की।। 

"उल्लास" कर दे लाश जो, कुदृष्टि डाले भारत वर्ष पे ...

                 


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