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anuradha nazeer

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स्मारक होगी भारतवासियोंकेदिलम

स्मारक होगी भारतवासियोंकेदिलम

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आई एक नई जवानी

गुमी हुई आज़ादी की बचाने

चमक उठी सन सत्तावन में

खूब लड़ी मर्दानी


तलवार की रानी

झांसी रानी लक्ष्मी भाई नाम

पिता की एक ही सन्दआन

वह वीरता की अवतार थी


उस की आराध्य भवानी थी

तीर चलाने वाली

चूड़ियां कब पहने थी

रानी विधवा हुई


विधि को भी नहीं दया

राज्य हड़प करने का सोचा अंग्रेजी

इस स्वतंत्रता महायज्ञ में स्वयं को खोई

स्वयं को खोई


जानची के मैदान में कड़ी एक रानी

तलवार कींचलि

द्वंद्व हुआ आसमानों में

विजई पाई


इतिहास के गगन में अमर रहेंगे

उसके गुरबाणी सराहनीय है

यमुना तट पर अंग्रेजी ने खाई हार

विजय पाई रानी लक्ष्मी


याद रहेंगे तेरा बलिदान

तेरा चरित्र इतिहास बनेंगे

तेरे स्मारक होगी

भारतवासियों के दिल में।


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