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Shubhra Varshney

Action Inspirational

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Shubhra Varshney

Action Inspirational

वो मेवाड़ शिरोमणि कहलाता था

वो मेवाड़ शिरोमणि कहलाता था

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वह मेवाड़ शिरोमणि कहलाता था

मंदिम पड़ता था सूर्यतेज का,

जब पताका राणा की लहराती थी।


राणा के अश्व गर्जना से,

वसुंधरा भी थर्राती थी।

वह मातृभूमि का रखवाला,

बनकर लावा दहकता था।


कुंभलगढ़ का वह कुंवर,

भारत मां का शेर कहलाता था।

थी राणा में बात कुछ ऐसी,

जो अकबर भी तो डरता था।


राणा के राष्ट्रप्रेम से तो,

क्षितिज नभ महकता था।

वह प्रजा पाल वह कर्मवीर,

जब अपना भाल उठाता था।


देख अदम्य साहस उस शूरवीर का,

हर दुश्मन भी घबराता था।

वह मतवाला चित्तौड़ की शान,

जो कभी ना सर झुकाता था।


घास फूस की रोटी भी खा कर,

बस स्वाभिमान दिखलाता था।

वह निष्ठावान वह महावीर,

मुगलों को धूल चटाता था।


क्या होती है बस हिम्मत,

नित विरोधियों को दिखलाता था।

चेतक का स्वामी महा प्रतापी,

मां भवानी के नारे लगाता था।

क्या होती है कर्मभूमि,

वह हल्दीघाटी में दिखलाता था।

आजाद रहे मेवाड़ सदा,

रखवाला मेवाड़ का कहलाता था।


मुगलों से लोहा लेने वाला,

वह मेवाड़ शिरोमणि कहलाता था।

विद्युतसम भाले का स्वामी,

मारुति वेग चेतक का सवार था।


वह दृढ़ प्रतिज्ञा अति बलवाना,

देश के मस्तक का चंदन था।

आज जयंती पर कर स्मरण,

नमन उनको बारंबार है।


ना भूले हम उन महा वीरों को,

जो रहे हमारे कर्णधार हैं।


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